झारखंड के लोहरदगा जिले से हाल ही में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। यहां के पेशरार प्रखंड के केकरांग बरटोली गांव में नौ अक्टूबर की रात एक ही परिवार के तीन लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी गई। मृतकों की पहचान लक्ष्मण नगेसिया (50 वर्ष), उसकी पत्नी बिफनी नगेसिया (45 वर्ष) और उनके नौ वर्षीय बेटे रामविलास के रूप में हुई है।
घटना की जानकारी के बाद पूरे इलाके में सनसनी फैल गई। बताया जा रहा है कि गांव के कुछ लोग बिफनी नगेसिया पर डायन होने का आरोप लगाते थे। जब भी किसी के घर में कोई बीमार पड़ता, तो उस पर जादू-टोना करने का इल्जाम लगाया जाता था। इसी अंधविश्वास के चलते आरोपियों ने कुदाल से हमला कर तीनों की जान ले ली।
इस घटना के बाद झारखंड हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान (suo motu) लिया है। मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति राजेश शंकर की खंडपीठ ने राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। अदालत ने सरकार से पिछले दो वर्षों में ‘डायन प्रथा निवारण अधिनियम, 1999’ के तहत दर्ज मामलों का पूरा ब्योरा और जांच की स्थिति बताने को कहा है।
इसके साथ ही, कोर्ट ने इस घटना से मिलते-जुलते वर्ष 2012 और 2015 में दर्ज जनहित याचिकाओं के रिकॉर्ड भी पेश करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 14 नवंबर को होगी।
फिलहाल, लक्ष्मण की बहू सुखमनिया नगेसिया के बयान पर प्राथमिकी दर्ज की गई है। घटना के बाद आरोपी गांव छोड़कर फरार हैं, जिनकी तलाश में पुलिस लगातार छापेमारी कर रही है।
यह घटना एक बार फिर दिखाती है कि झारखंड के कई इलाकों में आज भी अंधविश्वास और डायन प्रथा जैसी कुरीतियां लोगों की जान ले रही हैं। प्रशासन और समाज दोनों के लिए यह बड़ा सवाल है कि आखिर कब तक ऐसी सोच मासूमों की बलि लेती रहेगी।

