झारखंड में शराब घोटाला मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए एसीबी (भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो) ने मेसर्स विजन हॉस्पिटैलिटी सर्विसेज एंड कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड के तीन निदेशकों — परेश अभेयसिंह ठाकोर, विक्रमासिंह अभेसिंह ठाकोर और महेश शिडगे — को गिरफ्तार किया है।
एसीबी की एडीजी प्रिया दुबे ने बताया कि तीनों को अहमदाबाद के सन स्काई पार्क वकील ब्रिज सोसायटी से गिरफ्तार किया गया। सोमवार को गिरफ्तारी के बाद उन्हें कोर्ट में पेश किया गया, जहां से ट्रांजिट रिमांड पर रांची लाया गया। बुधवार को सभी आरोपियों को जेल भेजा जाएगा।
जानकारी के मुताबिक, कंपनी को हजारीबाग, कोडरमा और चतरा जिलों में मानव संसाधन प्रदाता के रूप में चयनित किया गया था। 27 अगस्त 2023 को कंपनी के प्रतिनिधि नीरज कुमार के हस्ताक्षर से 5.35 करोड़ रुपये की फर्जी बैंक गारंटी जमा कराई गई थी। बाद में 28 दिसंबर 2023 को निदेशक महेश शिडगे के हस्ताक्षर से नई बैंक गारंटी प्रस्तुत की गई, जिसका कारण “आंतरिक बदलाव” बताया गया।
जांच के दौरान एसीबी ने पाया कि बैंक गारंटी की सत्यापन प्रक्रिया कभी पूरी नहीं की गई। 9 जनवरी 2025 को विक्रय के विरुद्ध राशि जमा न होने पर विभाग ने बैंक गारंटी जब्त करने का आदेश दिया। इसके बाद कंपनी ने मामला हाईकोर्ट में दायर किया।
जब सत्यापन के लिए विभागीय अधिकारी बैंक पहुंचे, तो बैंक ने स्पष्ट किया कि गारण्टी फर्जी है — न तो यह बैंक से जारी हुई थी, और न ही उस पर असली लेटरहेड या सिग्नेचर थे। इसके बाद 8 अप्रैल 2025 को कंपनी को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया।
जवाब में निदेशक महेश शिडगे ने दावा किया कि यह धोखाधड़ी उनके लोकल प्रतिनिधियों नीरज कुमार सिंह और श्याम शरण ने की। यहां तक कि हाईकोर्ट में दाखिल बैंक गारंटी विस्तार से जुड़ा फर्जी दस्तावेज भी इन्हीं प्रतिनिधियों ने तैयार किया था।
एसीबी की जांच में अब यह सामने आया है कि कंपनी ने विभागीय अधिकारियों को गुमराह करने और फर्जी दस्तावेजों के सहारे करोड़ों रुपये के घोटाले की कोशिश की थी। जांच जारी है और अन्य संबंधित व्यक्तियों की भूमिका भी खंगाली जा रही है।

