रांची/धनबाद |
15 नवंबर 2000 को बिहार से अलग होकर बने झारखंड राज्य ने आज अपने 25 वर्षों की विकास यात्रा पूरी कर ली है। दो दशक से अधिक के इस सफर में राज्य ने प्रशासनिक, औद्योगिक और सामाजिक स्तर पर कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं।
राज्य की शुरुआत 18 जिलों से हुई थी, जो अब बढ़कर 24 हो गए हैं। पूरे प्रदेश में सड़कों का व्यापक जाल बिछ चुका है, जिससे ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों की कनेक्टिविटी में जबरदस्त सुधार हुआ है। बिजली और संचार व्यवस्था में भी उल्लेखनीय प्रगति हुई है, जिससे आम जनजीवन और व्यापारिक गतिविधियाँ सुगम हुई हैं।
रांची, देवघर और बोकारो जैसे प्रमुख शहर अब हवाई मार्ग से देश के अन्य हिस्सों से जुड़ गए हैं। इससे पर्यटन और औद्योगिक निवेश के नए अवसर खुले हैं। हालांकि, कोयला राजधानी धनबाद के लिए एयरपोर्ट की मांग अब भी अधूरी है, जिसे लेकर कारोबारियों और नागरिकों में उम्मीद बनी हुई है।
व्यापारियों का कहना है कि राज्य सरकार को नीति निर्माण में स्थानीय कारोबारियों को भी शामिल करना चाहिए, ताकि आर्थिक नीतियाँ ज़मीनी हकीकत के अनुरूप बन सकें। साथ ही, “जल, जंगल और जमीन” के सिद्धांतों पर चलते हुए विकास की गति को और तेज़ करने की आवश्यकता है।
पर्यटन के क्षेत्र में झारखंड की पहचान और भी मजबूत हुई है। देवघर का बाबाधाम, पारसनाथ, नेतरहाट और रजरप्पा जैसे स्थलों ने राज्य की सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान दिलाई है।
कारोबारियों के अनुसार, अब राज्य को शिक्षा, स्वास्थ्य, औद्योगिकीकरण और बुनियादी ढांचे पर मिशन मोड में काम करना चाहिए, ताकि अगले 25 वर्षों में झारखंड “विकसित राज्य” की श्रेणी में शामिल हो सके।

