रांची : झारखंड हाईकोर्ट में सीजीएल 2023 परीक्षा में कथित गड़बड़ी और सीबीआई जांच की मांग को लेकर दायर याचिका पर सोमवार को अहम सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है। कोर्ट ने मेरिट लिस्ट जारी करने पर लगी अंतरिम रोक को भी बरकरार रखा है।
राज्य सरकार की ओर से पेश महाधिवक्ता राजीव रंजन ने अदालत को बताया कि अब तक की जांच में पेपर लीक के कोई ठोस साक्ष्य नहीं मिले हैं। सीआईडी जांच में यह बात सामने आई है कि केवल कुछ पुराने वर्षों के प्रश्न दोहराए गए थे, जिसे पेपर लीक नहीं कहा जा सकता।
महाधिवक्ता ने यह भी बताया कि राज्य के 830 परीक्षा केंद्रों में से केवल तीन केंद्रों पर अनियमितता की आशंका पाई गई है। इन केंद्रों पर कुछ अभ्यर्थियों द्वारा मोबाइल फोन के माध्यम से प्रश्न और उत्तर लिखवाने की कोशिश की गई थी, जिसके बाद उत्तर पत्रों को फाड़कर फेंक दिया गया था। जांच में पाया गया कि उन उत्तरों में प्रश्न पत्र से समानता थी, जिससे लोगों में पेपर लीक की आशंका बनी।
याचिकाकर्ता प्रकाश कुमार एवं अन्य की ओर से दायर जनहित याचिका में सीजीएल परीक्षा रद्द करने और सीबीआई जांच की मांग की गई है। आरोप है कि परीक्षा के दौरान पेपर लीक, पेपर सील खुला होना और बड़ी संख्या में प्रश्नों की पुनरावृत्ति जैसी गड़बड़ियां हुईं।
गौरतलब है कि झारखंड स्टाफ सेलेक्शन कमीशन (JSSC) द्वारा आयोजित सीजीएल परीक्षा-2023 में 3,04,769 अभ्यर्थी शामिल हुए थे। इस परीक्षा के जरिए विभिन्न विभागों में 2025 पदों पर नियुक्ति होनी है।
हाईकोर्ट का फैसला आने तक मेरिट लिस्ट पर रोक जारी रहेगी। अदालत द्वारा निर्णय आने के बाद ही आगे की प्रक्रिया तय होगी।

