रांची: झारखंड की राजधानी रांची के प्रभात तारा मैदान, धुर्वा में शुक्रवार को बड़ी आदिवासी हुंकार महारैली आयोजित की जाएगी। यह रैली कुड़मी समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग के विरोध में की जा रही है।
गुरुवार को करमटोली स्थित धुमकुड़िया में आदिवासी बचाओ मोर्चा की ओर से प्रेस वार्ता आयोजित की गई, जिसमें रैली की तैयारियों और उद्देश्य की जानकारी दी गई।
पूर्व मंत्री देवकुमार धान ने बताया कि यह महारैली आदिवासी समाज की एकजुटता और अस्तित्व की रक्षा का प्रतीक बनेगी। उन्होंने कहा कि कुड़मियों को एसटी में शामिल करने की मांग ऐतिहासिक तथ्यों के विपरीत है और इससे वास्तविक आदिवासी समुदायों के अधिकारों पर असर पड़ेगा।
लक्ष्मीनारायण मुंडा ने कहा कि रैली में झारखंड की सभी प्रमुख जनजातियाँ — संताल, मुंडा, हो, भूमिज, लोहरा, बेदिया, खड़िया, कोरबा, बिरहोर, खरवार, भोक्ता और चेरो समेत 33 जनजाति समूह — पारंपरिक वेशभूषा, झंडे और हथियारों के साथ शामिल होंगे। यह रैली पूरे राज्य के संयुक्त आदिवासी संगठनों के आह्वान पर आयोजित हो रही है।
मुंडा ने यह भी कहा कि कुछ इतिहासकार कुड़मी नेताओं को आदिवासी विद्रोहों से जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि ऐतिहासिक विद्रोह — जैसे चुआड़, कोल और संताल आंदोलन — पूरी तरह आदिवासी नेतृत्व में हुए थे। जनजातीय अनुसंधान संस्थान और कोलकाता हाईकोर्ट ने भी स्पष्ट किया है कि कुड़मी समुदाय ओबीसी श्रेणी में आता है।
प्रेमशाही मुंडा ने कहा कि कुड़मी-महतो को आदिवासी घोषित करने की कोशिशें आदिवासी पहचान को कमजोर करने वाली हैं और इसका विरोध जारी रहेगा।
इस मौके पर दर्शन गोंझू, अभय भुटकुंवर, जगलाल पाहन, बबलू मुंडा समेत कई आदिवासी संगठन के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
ट्राइबल एडवाइजरी काउंसिल के सदस्य नारायण उरांव ने चेतावनी दी कि यदि कुड़मियों को एसटी का दर्जा दिया गया, तो आदिवासी समुदाय को मिलने वाला 26% आरक्षण, नौकरियों और राजनीतिक प्रतिनिधित्व का संतुलन बिगड़ जाएगा।
उन्होंने बताया कि 20 सितंबर को हुए कुड़मी समुदाय के रेल रोको आंदोलन के बाद, राज्यभर में आदिवासी संगठनों ने आक्रोश रैलियाँ निकालनी शुरू कर दी हैं। इसी कड़ी में यह महारैली आयोजित की जा रही है।
इस आंदोलन को झारखंड उलगुलान संघ के नेता जॉन जॉनसन गुड़िया और सुदर्शन भेंगरा का भी समर्थन प्राप्त हुआ है।

