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Saturday, November 8, 2025

छठ महापर्व का तीसरा दिन: सूर्यदेव की आराधना और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना

छठ पूजा 2025: जानिए क्यों दिया जाता है डूबते सूर्य को अर्घ्य

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाने वाला छठ महापर्व लोक आस्था और सूर्य उपासना का सबसे पवित्र पर्व माना जाता है। यह पर्व चार दिनों तक चलता है और आज इसका तीसरा दिन है, जिसे षष्ठी कहा जाता है। इस दिन व्रती महिलाएं व पुरुष डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर अपने परिवार की सुख-समृद्धि और संतान की लंबी आयु की कामना करते हैं।

छठ पूजा की शुरुआत 25 अक्टूबर से हो चुकी है, और आज शाम व्रती जन घाटों पर पहुंचकर सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करेंगे। जल में खड़े होकर डूबते सूर्य की आराधना की जाएगी, फिर सप्तम दिन यानी अगले दिन उदयमान सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन होगा।

डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का महत्व

डूबते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा के पीछे गहरी धार्मिक और वैज्ञानिक मान्यता है।

धार्मिक दृष्टि से, डूबते सूर्य को अर्घ्य देना जीवन में संतुलन और विनम्रता का प्रतीक माना गया है।

वैज्ञानिक दृष्टि से, सूर्य की अंतिम किरणें शरीर के लिए ऊर्जा और सकारात्मकता का स्रोत मानी जाती हैं।

ऐसा विश्वास है कि सूर्यास्त के समय सूर्यदेव की आराधना करने से जीवन में मानसिक शांति और पारिवारिक सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।

अर्घ्य देने की विधि

शाम के समय व्रती जल में खड़े होकर बांस की टोकरी में फल, ठेकुआ, नारियल, और दीपक रखकर सूर्यदेव को जल अर्पित करते हैं। साथ ही, छठी मैया के गीत गाए जाते हैं और परिवार की खुशहाली की कामना की जाती है।

छठ महापर्व न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह प्रकृति और मानव के गहरे संबंध का भी संदेश देता है। यह पर्व सूर्य की उपासना के माध्यम से जीवन में ऊर्जा, संतुलन और समृद्धि का आह्वान करता है।

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