Criminal Bill: देश की राजनीति में इस समय संसद में पेश किए गए उस विधेयक पर जोरदार बहस छिड़ी हुई है, जिसके तहत गंभीर आपराधिक मामलों में फंसे प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्रियों को उनके पद से हटाने का प्रावधान किया गया है। इस कानून को लेकर विपक्ष और सत्ता दोनों खेमों में चर्चा तेज है, वहीं जन सुराज पार्टी के संस्थापक और चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर ने इस पर साफ और सख्त रुख अपनाया है।
पूर्णिया में मीडिया से बातचीत करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि यह विधेयक समय की मांग है और सत्ता में बैठे भ्रष्ट नेताओं के खिलाफ जनता को भरोसा दिलाने की दिशा में अहम कदम साबित हो सकता है। उन्होंने कहा, “यह बिल इसलिए लाया जा रहा है कि जब संविधान बना होगा तब जिन्होंने हमारा संविधान बनाया था उन्हें शायद इस बारे में पता ही नहीं होगा कि सत्ता में बैठे लोग इतने भ्रष्ट हो जाएंगे कि उन्हें जेल जाना पड़ेगा। जहां तक मैं समझता हूं कि यह बिलकुल ठीक है कि अगर आप पर कोई आरोप लग रहा है और आप जेल जा रहे हैं तो आप जेल में बैठकर सत्ता नहीं चला सकते हैं।”
प्रशांत किशोर ने स्पष्ट किया कि लोकतंत्र की आत्मा यही है कि जनता द्वारा चुना गया प्रतिनिधि साफ-सुथरी छवि वाला हो और जनता का विश्वास बनाए रखे। यदि किसी पर गंभीर आपराधिक आरोप हैं और अदालत की प्रक्रिया में उसे जेल जाना पड़ता है, तो ऐसे व्यक्ति का सत्ता में बने रहना न केवल लोकतंत्र की मर्यादा को ठेस पहुंचाता है, बल्कि शासन-प्रशासन की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े करता है।
उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि आजादी के बाद जब संविधान तैयार हुआ, तब संविधान निर्माताओं ने शायद यह कल्पना नहीं की थी कि सत्ता की कुर्सी पर बैठे लोग भ्रष्टाचार, घोटाले और आपराधिक मामलों में लिप्त पाए जाएंगे। अब जबकि यह स्थिति सामने आ चुकी है, तो संसद को ठोस कदम उठाने ही होंगे।
जन सुराज पार्टी प्रमुख ने कहा कि असली सुधार तभी होगा, जब राजनीति से भ्रष्टाचार और अपराध की जड़ें खत्म हों। उनके मुताबिक, यह बिल अगर ईमानदारी से लागू किया गया तो राजनीति की दिशा बदल सकती है और जनता का भरोसा दोबारा बहाल हो सकता है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र तभी मजबूत होगा, जब सत्ता में बैठे लोग आम नागरिकों की तरह कानून के दायरे में रहकर काम करें।
बिहार की राजनीति में सक्रिय प्रशांत किशोर ने अपने जन संवाद अभियान के दौरान पहले भी कई बार भ्रष्टाचार और अपराधियों की राजनीति में बढ़ती हिस्सेदारी पर चिंता जताई है। उनका यह बयान ऐसे समय आया है, जब बिहार समेत पूरे देश में विपक्ष और सत्ता दल, दोनों ही इस विधेयक को लेकर अपनी-अपनी रणनीति बना रहे हैं।
प्रशांत किशोर का यह बयान विपक्ष और सत्ता दोनों पर दबाव बनाने वाला माना जा रहा है। संसद में पेश विधेयक पर अब बहस और तेज हो गई है और आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि देश की राजनीति में इस ऐतिहासिक पहल का कितना असर दिखाई देता है।
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