कोलकाता: पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) शुरू होने के बाद सीमावर्ती इलाकों में बड़ा बदलाव देखा जा रहा है। उत्तर 24 परगना के स्वरूपनगर और हकीमपुर सेक्टर में बिना बाड़ वाली सीमा के पास बड़ी संख्या में बांग्लादेशी और रोहिंग्या मूल के लोग इकट्ठा होते देखे जा रहे हैं। इनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं।
सूत्रों के अनुसार कई लोग खुद स्वीकार कर रहे हैं कि वे भारतीय नागरिक नहीं हैं, लेकिन उनके पास आधार व वोटर कार्ड जैसे दस्तावेज मौजूद हैं। डर के माहौल में ये सभी किसी तरह सीमा पार कर अपने देश लौटने की फिराक में हैं।
सीमा चौकियों पर पकड़े गए कुछ लोगों ने बताया कि वे रोजगार की तलाश में भारत आए थे और दलालों को पैसे देकर सीमा पार की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि स्थानीय राजनीतिक कार्यकर्ताओं की मदद से उन्हें पहचान संबंधी दस्तावेज उपलब्ध कराए गए।
हैदराबाद में मजदूरी कर रहे रोहिंग्या समुदाय के एक युवक ने बताया कि वह पाँच-छह साल पहले भारत आया था और अब अपने परिवार के साथ लौटना चाहता है, लेकिन उसके पास मूल दस्तावेज नहीं हैं।
BSF अधिकारियों ने पुष्टि की कि पिछले कुछ दिनों में उत्तर 24 परगना और मालदा सेक्टर में सीमा पारकर वापस लौटने वालों की संख्या असामान्य रूप से बढ़ गई है। आमतौर पर यह आंकड़ा बेहद कम रहता है, लेकिन SIR प्रक्रिया के बाद इसमें अचानक बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
उधर हकीमपुर क्षेत्र में उस समय तनाव फैल गया जब स्थानीय लोगों ने कुछ मीडियाकर्मियों पर भ्रामक खबरें फैलाने का आरोप लगाते हुए हमला कर दिया। घटना के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने इलाके में निगरानी और सख्त कर दी है।
हालात अभी भी संवेदनशील हैं और प्रशासन स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए है।

