पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार को एक सप्ताह में दूसरी बार पत्र लिखकर कई गंभीर आपत्तियाँ दर्ज कराई हैं। सोमवार को भेजे गए इस पत्र में उन्होंने चुनाव प्रक्रिया से जुड़े दो अहम मुद्दों पर “तत्काल हस्तक्षेप” की मांग की है।
1️⃣ संविदा कर्मियों की नियुक्ति रोके जाने पर सवाल
मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी द्वारा जिला निर्वाचन अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे SIR और अन्य चुनावी डेटा कार्यों के लिए संविदा पर डेटा एंट्री ऑपरेटरों या बांग्ला सहायता केंद्र (BSK) के कर्मचारियों को नियुक्त न करें।
ममता ने इसे परंपराओं के उलट बताया और कहा कि जिले अपने स्तर पर हमेशा से ऐसे कर्मियों को तैनात करते आए हैं।
2️⃣ चुनाव आयोग द्वारा 1000 नए ऑपरेटर और 50 डेवलपर्स की नियुक्ति पर आपत्ति
सीईओ कार्यालय द्वारा पूरे एक वर्ष के लिए 1,000 डेटा एंट्री ऑपरेटर और 50 सॉफ्टवेयर डेवलपर नियुक्त करने के लिए RFP जारी किया गया है।
ममता ने सवाल उठाते हुए कहा कि जब जिला कार्यालयों में पहले से ही सक्षम पेशेवर मौजूद हैं, तो इतनी बड़ी बाहरी नियुक्ति की क्या आवश्यकता?
उन्होंने आरोप लगाया कि यह निर्णय किसी राजनीतिक दल के इशारे पर लिया गया हो सकता है और इसके समय व तरीके पर “जायज संदेह” है।
3️⃣ निजी आवासीय परिसरों में मतदान केंद्र स्थापित करने पर कड़ी नाराज़गी
मुख्यमंत्री ने निजी आवासीय परिसरों के अंदर मतदान केंद्र स्थापित करने के कथित प्रस्ताव को अनुचित और असंगत बताया। उन्होंने कहा कि ऐसे स्थानों पर बूथ बनाना—
निष्पक्षता से समझौता करता है,
और स्थापित मानकों का उल्लंघन है।
उन्होंने चुनाव आयोग से इन दोनों मामलों पर तुरंत कार्रवाई की मांग की है।

